बेटी का त्योहार
बेटी का त्योहार
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वो नीले गुलाबी
वो पीले से गाल,
गलियों में उड़ते
हरे से गुलाल।
वो पीली फ्रांके
वो बचपन का प्यार,
बालोंं की चोटी
वो माँ का दुलार।
प्यारी सी गलियां
वो बचपन की सखियाँ,
वो कपड़े वो गहने ,
वो मस्ती की बतियाँँ
कभी इठलातीं
कभी मुस्कराती,
कभी लग के गले
रीति को निभाती।
था वो नैहर की गलियों में
होली का त्योहार,
थी मां की चुनरियां
और बाबुल का प्यार।
