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Dr.kamlesh Mishra

Inspirational

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Dr.kamlesh Mishra

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Untitled

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                        पर्यावरण 

पर्यावरण ही वह आवरण है,
जो धरती का करता वरण हैं।
आतीं हैं ऋतुएं तो ,सजती धरा है,
चारों तरफ़ उत्सवों का माहौल घना है।

फूलों का खिलना, कलियों का हंसना,
भंवरे की गुनगुन, तितली का उडना।
सूरज का उगना,कमल का खिलना,
चांद की चांदनी का, रातों में हंसना।

बारिश की बूंदें, गलियों का पानी,
उछलते कूदते, टर्राती मेंढ़क की वानी।
इतराते पर्वत ,इठलाती नदियां,
धरा की गोद में नहाती हैं चिड़ियां।

यह सृष्टि का अद्भुत अनोखा वरण हैं,
इसकी अनुभूतियों में मानव ढला है।
आज मिलकरके हम सब प्रण यह करेंगे,
धरती के इस आवरण को हम सदा ही रखेंगे।





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உள்நுழை

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