हाउसवाइफ नहीं सी एम डी
हाउसवाइफ नहीं सी एम डी
प्रेम की देवी ममता की मूरत
वात्सल्य का सागर मोहिनी सूरत
करुणा से भरपूर संवेदनशील
लाज की पहरेदार विनम्र सुशील
मितव्ययी सर्वश्रेष्ठ प्रबंधक
अंतर्यामी सब दुख भंजक
नारी तेरे रूप अनेक
हर रूप में तू लगती है नेक ।
दिन में दामिनी रात में रागिनी
सुबह सुनंदा शाम को शारदा
सोम को सोमा मंगल को मंगला
बुध को बुधिया गुरू को गीता
शुक्र को शशि शनि को शैलजा
रवि को रति रूप धर लेती
ये हाउसवाइफ होती हैं जनाब, जल जैसी
हर जगह जरूरत के हिसाब से एडजस्ट कर लेती
किससे क्या लेना है किसको क्या देना है
हर चीज का हिसाब दिमाग में रहता
किसने कब क्या कहा कब क्या सुना
समय पर सूद सहित वह करती चुकता
रावण के तो बीस हाथ ही थे बस
इसके हाथों की गिनती कौन कर सकता
ये हाउसवाइफ नहीं हो सकती, महाशय
मैं तो इन्हें सी एम डी ही कहता।