हाथों में रचती मेहंदी
हाथों में रचती मेहंदी


हाथों में रचती मेहंदी,
माथे पर तेरी बिंदी,
जब तक चलती रहें साँसे हमारी
तुम माँग में यूँ ही
सिंदूर भरती रहो......
हाथों में चूड़ी पैरो में पायल
बालो में गजरा
छलनी दिया और
पूजा की थाल
तुम्हारी हाथों में लिए चाँद
को देखकर फिर
अपने चाँद
को तुम यूँ ही
जीवन भर सदा देखती रहो
हर करवा चौथ पर
तुम अपना यूँ ही सोलह
श्रृंगार करती रहो।