गुरू भजन
गुरू भजन
गुरु के भजन बीना झुठी जिंदगीनी
झुठी जिन्दगानी दुनिया आनाजाना
गुरु.......
खुब बनाये महल तुने अठारी
खुब जलाये तुने छुटी ओर कटारी
हरपल की तुने बेइमानी
गुरु.......
बचपन बीताया तुने नये नये खेल मे
जवानी बिताई तुने नारीयो के मेल मे
आया बुढापा काया मुरझानी
गुरु......
संग के साथ तेरे साथ नहीं जायेंगे
तेरे मेरे रिश्ते अटी पे रहा जयेगे
इतनी सी बात तने नहीं मानी
गुरू......