गुरु का साथ
गुरु का साथ
ना कपड़े हैं ढंग के ,ना बाल का ठिकाना,
पैरों में चप्पल नहीं ,फिर भी उसे है स्कूल जाना।
एक गरीब बच्चा यह जिद पकड़ बैठा,
मां ने मना कर दिया तो जमीन पर जा लेटा।।
हां कहने पर, जोर से भागा,
जैसी अभी-अभी हो नींद से जागा।
बस यूं ही वह रोज स्कूल के ,
बाहर जाकर खड़ा हो जाता।
कुछ नहीं ,पर थोड़ा उसको ,
अब समझ में है आता ।।
रोज यही था उसका काम ,
बिना पढ़े नहीं मिलता था उसे आराम।
एक दिन मास्टर जी ने उसे देख लिया,
अंदर आने का इशारा किया।
घबराया सहमा सा वो अंदर आया,
मास्टर जी ने उसे देखकर मुस्कुराया।।
मास्टर जी बोले ,बेटा तुझे पढ़ना है,
क्या जिंदगी में आई कठिनाइयों से लड़ना है।
तुम मत होना निराश,
अब से मैं दूंगा तेरा साथ।
तू रोज यूं ही स्कूल आना,
कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना।।
क्या हुआ ,अगर तेरे पास पैसे नहीं है,
पर पढने की लगन तो है।
तेरी आंखों में जुनून,
और दिल में कुछ पाने की की अगन तो है।
यह सुन इस गरीब बच्चे की आंख भर गई,
पर उसके बाद उसकी जिंदगी सवर गई।