गुनाह
गुनाह
अपना
समझकर
छोटा समझकर
जिगर का टुकड़ा
समझकर
अपने अपनों के
गुनाहों को
आखिर कितना माफ
करें
किसी का दिल दुखाना
आत्मा को झकझोरना
बिना कारण
एक सोची समझी साजिश के
तहत
किसी गुनाह से
कम तो नहीं
दिल पर बुरा असर पड़ा
दिल की धड़कने बड़ी
गुनहगारों को उसका
गुमां भी न हुआ
कभी कभार
किसी के कहने पर
कुछ समझ आया तो
माफी मांग ली पर
इसके बाद भी
गुनाहों का सिलसिला नहीं
थमा
आज तो माफ कर दिया
पर उस कल का क्या जब
रहेगा ही नहीं
उन गुनाहों को सहने वाला
और हमेशा
दिल से सबको
माफ करने वाला।