गुनाह तस्लीम कर
गुनाह तस्लीम कर
यक ब यक गुनाहों को तेरे, तस्लीम कर
बद अखलाकी बद ज़ुबानी की तरमीम कर
तस्लीम ( स्वीकार )
तरमीम ( दुरुस्त )
बे वजह दिल ए नादां , गुनाह में न डाल और
दस्तबस्ता ताज़िम ए सिर्रे गुरुर ए तक़्वीम कर
दस्तबस्ता ( हाथ जोड़ कर )
ताज़िम ए सिर्रे गुरुर ए तक़्वीम ( सर झुका कर घमंड को सही करना )
बद ख्याली ओ बद ताल्लुक का सिला है बद
खुदा से जोड़ कर दिल कल्ब ए तहरीम कर
कल्ब ए तहरीम ( दिल को पाक )
बे अदबी ओ बद गुफ्तारी से दामन को बचाकर
खुश लिबासी ओ खूब गुफ्तरी तकरीम कर
खूब गुफ्तरी ( अच्छी बाते )
तकरीम ( अदब एहतराम )
'हसन' न राह ए दीदानी, न अक्ल दुरुस्त पौश
फकत हमीं रा मि गोयद ,ज़िक्र रब्बे करीम कर।
( हसन न तो सही राह दिखा रहा है न तो अक्ल को दुरुस्त कर रहा है
बस इतना ही कह रहा है की उस करम करने वाले खुदा का जिक्र कर )
