Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sheetal Raghav

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Sheetal Raghav

Abstract Tragedy Inspirational

गरीब ग्रामीण : एक सच

गरीब ग्रामीण : एक सच

2 mins
532


कवि कहता है, अपनी कल्पना से। 

कवि कहता है, अपनी कल्पना से, 


गरीब अपनी आशाओं के बल पर, 

जीता और मरता है।


जब कोई गरीब चला जाता है,

दुनिया को कहकर अलविदा, 

देने सांत्वना पहुंच जाते हैं सब, 

उसके परिवार के पास।


जो चला गया उसे क्या कोई फर्क पड़ता है ?

तुम रो लो या शोक गीत गा लो बार-बार ।


पर उस पर फर्क, कोई पड़ता नहीं ,

मुर्गे की बांग क्या उसे उठा पाएगी,

या कार का हॉर्न जोर से बजाओ, 

तब क्या उसके कानों तक आवाज आएगी।


चिर निद्रा से और उसकी छोटी सी कोठरी तक, 

जहां वह सो रहा है,

अपनी सुध बुध खोकर।


कोई शोर, कोई भूकंप, 

अब उसको नींद से जगा नहीं पाएगा, 


जब कह गया अलविदा दुनिया से,

नहीं किसी के भी बुलाने पर,

ना रोने ना ही गिड़गिड़ाने से,

ना ही, किसी भी सूरत में वह लौटने पाएगा।


हे अमीरों, हे पैसे वालों, 

मत गुमान तुम पैसे का करना,

कभी हमारी भी थी आशाएं, 

कभी हमारे भी थे सपने, 

अपने सपने बस रोजगार के थे ,

और रोटी के थे जो बार बार हमने थे देखे।।


हर सपना यही छूट जाता है, 

जब वह एक पल आ जाता है, 

सबका वह दिन वह पल तय है,

जो होना है वह हो जाएगा,

काम वही का वही छूट जाएगा,

जब जाने का वक्त आयेगा ।


मार कुल्हाड़ी, दराती अपनी ,

धरती का सीना चीरकर, 

अनाज उगाया हमने, सबके लिये,

पसीने से अपनी, जमीन को सींचकर ।


कद्र हमारी भी कर लो, 

कभी हम भी थे, जीते जागते, 

आज कफन पहने हैं लेटे।


हुनर था कभी हाथों में हमारे,

हम भी कभी हो सकते थे

डॉक्टर, नेता या अभिनेता, 

कभी नायक तो कहीं का मैं भी होता शहंशाह।


पर अब मैं कब्र में दफन एक किस्सा हूं, 

कभी था इस दुनिया का हिस्सा, 

अब मैं उस दुनिया का हिस्सा हूं।


ना सजेगी अब कोई गोरी, इनके लिए, 

ना पापा की कोई देगा आवाज, 

ना ही कोई झमेला ना ही अब कोई दरकार।


कवि हूं, पर इन के हित में कहता हूं।


ना कभी इन पर कोई हंसना, 

ना ही कोई फब्तियां कसना, 

कभी दौर यही अपना भी आएगा, 

इस पल के लिए, 

सदैव तैयार तुम रहना ।


बस करना है, तो,

एक काम करना,

कब्र पर इनकी जहां कोई ग्रामीण दफन है, 

वहां पर इनकी अच्छाइयां लिख देना।


लिख देना, कभी इनका भी था एक सपना, 

शहरों की चकाचौंध से दूर,

बच्चों के लिए, 

बस रोटी कमाना था एक सपना।


अब कोई आशा नहीं, 

ना ही कोई सपने हैं,

छूट गया सब कुछ, 

छूट गए वहींं सब अपने है।


यही हकीकत है,

दुनिया की, 

जीवन है सपना

और मौत ही सच है। 

बस जीवन में,


सिर्फ राम का नाम ही सत्य है।

सिर्फ राम का नाम ही सत्य है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract