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Aanchal Unnati

Tragedy

0.2  

Aanchal Unnati

Tragedy

गोश्त के टुकड़े

गोश्त के टुकड़े

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हम सब किसी मीट शॉप में 

टंगे हुए गोश्त के टुकड़े हैं 

हलाल में झटके में इतर-बितर-

छितर-तितर लाल मास के रंगों में 

छपाछप डूबे हुए हैं 


रूक के देखते हैं तो अपने ही अंगों को

ना पहचानने पर मजबूर हुए जाते हैं

हलाल में झटके में इतर-बितर-

छितर-तितर हम सब ज़िंदा

गोश्त के टुकड़े हैं 


ख़रीददार आया है कोई 

उन गोश्त के टुकड़ों से 

जो अपने परिवार का पेट भरेगा 

लेकिन आसन पर बैठे उस कसाई के

कपड़ों का रंग ख़ूनी है और 

काट रहा है हलाल में झटके

में इतर बितर तितर छितर 

हम सब ज़िंदा गोश्त के टुकड़े हैं।


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