गंगा
गंगा
कल करती पल-पल बहती गंगा की धारा
काशी की गरिमा शिव की महिमा कही जाए
गंगा स्नान में जन्मो के पाप मिटे
वेद पुराण करे, गंगा का बखान
कल कल करती पल -पल बहती गंगा की धारा
हिम पुत्री मकर सवारनी कहलाए
गंगा की धारा तीन लोक में बही जाए
गंगा के पावन जल से मन शीतल हो जाए
कल कल करती पल-पल बहती गंगा की धारा
हजारों जीवों को जीवन देने वाली
लाखों के जीवन का सहारा
हरियाली देने वाली, शुद्ध जलधारा
भागीरथी कहीं जाए
कल कल करती पल पल बहती गंगा की धारा
पाप मिटाने किया इसे प्रदूषित
गंगा मां के मन को हुई है आहट
बचाओ इसे मां गंगा देश की शान है
समय रहते हो उपाय, गंगा नदियों की जान है।
कल कल करती पल पल बहती गंगा की धारा
हम सब है जिम्मेदार अब हम इसे सुधारेंगे
प्रदूषित गंगा तो हम चैन से ना बैठ पाएंगे
कल-कल करती पल-पल बहती गंगा की धारा
