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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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गंदा कीड़ा नाली का

गंदा कीड़ा नाली का

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काहे रूप धरा तुम काली का

तुम तो हो गंदा कीड़ा नाली का

तुम रूप हो सीधे मवाली का

नशेड़ी दिमाग़ से हो खाली का


बॉलीवुड है धिक्कार तुम्हें

भावों का नहीं विचार तुम्हें

कैसे कहें अब कलाकार तुम्हें

तुम छेद हो हमारी थाली का

तुम हो गंदा कीड़ा नाली का


तुम नग्न हुए हम कुछ ना बोले

तुम रुग्ण हुए हम कुछ ना बोले

हौसले बढ़े क्योंकि हम कुछ ना बोले 

तुम अकूत भंडार हो गाली का

तुम हो गंदा कीड़ा नाली का।


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