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असअद भोपाली

Tragedy

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असअद भोपाली

Tragedy

ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा

ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा

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ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा होगा

मुझे भी आप ने दिल से भुला दिया होगा


सुना है आज वो ग़म-गीन थे मलूल से थे

कोई ख़राब-ए-वफ़ा याद आ गया होगा


नवाज़िशें हों बहुत एहतियात से वरना

मेरी तबाही से तुम पर भी तबसरा होगा


किसी का आज सहारा लिया तो है दिल ने

मगर वो दर्द बहुत सब्र-आज़मा होगा


जुदाई इश्क़ की तक़दीर ही सही ग़म-ख़्वार

मगर न जाने वहाँ उन का हाल क्या होगा


बस आ भी जाओ बदल दें हयात की तक़दीर

हमारे साथ ज़माने का फ़ैसला होगा


ख़याल-ए-क़ुर्बत-ए-महबूब छोड़ दामन छोड़

के मेरा फ़र्ज़ मेरी राह देखता होगा


बस एक नारा-ए-रिंदाना एक ज़ुरा-ए-तल्ख़

फिर उस के बाद जो आलम भी हो नया होगा


मुझी से शिकवा-ए-गुस्ताख़ी-ए-नज़र क्यूँ है

तुम्हें तो सारा ज़माना ही देखता होगा


'असद' को तुम नहीं पहचानते तअज्जुब है

उसे तो शहर का हर शख़्स जानता होगा


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