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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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ग्लेशियर हैं रिश्ते

ग्लेशियर हैं रिश्ते

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किसी ग्लेशियर की तरह रिश्ते,

गर्मी से पिघल जाते हैं,

बन जाते हैं पानी।


फर्क इतना सा है कि,

रिश्तों में,

दुनिया देखती है पानी, जानती है पानी,

लेकिन, कहती है ग्लेशियर।


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