ग़ज़ल
ग़ज़ल
पलता है रोज़ जो दिल में, वो ख़्याल पूछ लिया,
नहीं था जिसका कोई जवाब उन्होंने वो सवाल पूछ लिया।
कौन कहता है की दफ़नाने के बाद जलाया नहीं जाता,
आये वो अपने माशूक़ के साथ और हाल पूछ लिया।
हादसे कुछ ऐसे भी हुए इश्क़ में हमारे साथ,
छुपाने थे जिनसे अश्क़, उन्होंने ही रूमाल पूछ लिया।
पूछ बैठे वो की तुम्हें मोहब्बत चाहिये या मेरी ख़ुशी,
जवाब क्या देते प्रश्न उन्होंने बड़ा कमाल पूछ लिया।
मोहब्बत उनकी और मेरी कुछ ऐसे भी अधूरी रही,
हाथ में था मेरे रंग सिंदूरी और उन्होंने गुलाल पूछ लिया।