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Prem Bajaj

Romance

4  

Prem Bajaj

Romance

गज़ल -- ये दिल

गज़ल -- ये दिल

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देख कर तुम्हें संभल जाता ये दिल 

हो ओझल तुम तो डर जाता ये दिल।


कोई अनजान पल में बन जाता अपना 

कैसे- कैसे खेल हमें दिखाता ये दिल।


जब - जब आते हैं वो ख्यालों में मेरे 

मीठी छुअन का एहसास कराता ये दिल।


सहरा में जब भी बैठती हूं सोचने उनको 

उनकी याद में बहुत तड़पाता ये दिल।


आया जो ख्याल उनकी बदमाशियों का 

अकेले में भी तो है मुस्कुराता ये दिल।


ना जाना कभी छोड़कर मुझको सनम 

तुम बिन अकेले बहुत घबराता ये दिल।


ना कीजे यूं गुफ्तगू किसी ग़ैर से जाना

कसम से हमें बहुत जलाता ये दिल।


शबे- हिज्रा में करवटें बदलते रहते हैं 

 इस तन को आग लगाता ये दिल।


यूं ना तड़पाया करो प्रेम को जालिम 

जुदाई-ए-ग़म में दर्द से है कराहता ये दिल। 


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લોગિન

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