ग़ज़ल - सवाल कर
ग़ज़ल - सवाल कर
दिल में शंका पैदा हो जाए तो सवाल कर
इतनी सी कहासुनी पर तू ना बवाल कर।
बेरुखी भी तेरा एक हथियार ही रहा है
बदले में मिली बेरुखी पे ना मलाल कर।
ये जो आंधियों को चुनौती देते रहते हो
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो खयाल कर।
गैरों के कूचे में जलवे बिखेर दिए तुमने
मुझसे मिली वफा का कुछ तो हलाल कर।
एक उजाला मुकाम तक ले जाएगा तुम्हें
अंधेरा जहां उस राह सिंधवाल मशाल कर।
