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Shyam Kunvar Bharti

Romance

4.5  

Shyam Kunvar Bharti

Romance

गजल- निभाता सदा रहूँगा |

गजल- निभाता सदा रहूँगा |

1 min
388


बना लिया जो रिस्ता निभाता सदा रहूँगा

तुम मानो न मानो मै मानता सदा रहूँगा


तुम्हारी मजबूरीया कितनी ये तुम जानो

हम मिले न मिले याद आता सदा रहूँगा


तुम्हारे हुश्न से नहीं मुझे इश्क तुमसे है

रहो जहा प्यार के गीत सुनाता सदा रहूँगा


अश्क आंखो न आने देना याद जब आए

बन हवा जुलफ़े तेरी सहलाता सदा रहूँगा


किया मोहब्बत मैंने कोई सौदा नहीं तुमसे

गमों के दौर मे तुम्हें हँसाता सदा रहूँगा


तुम ही तुम नजर इश्क का असर ही ऐसा

बनोगे दुल्हन गैर यादों सताता सदा रहूँगा


रह लूँगा यादों के सहारे तेरे जाने के बाद

प्यार के तेरे नगमे गुनगुनाता सदा रहूँगा।


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