गिर के संभल के जो चला।
गिर के संभल के जो चला।
वो देते रहे आदर सभी को विनम्रता से बात की।
जो गलत कुछ हो गया तो उसने माफी मांग ली।
वह हर मदद पर शुक्रिया सबको अदा करते रहे।
हर किसी के दिल में उसने इस तरह से जगह ली।
जीवन एक परीक्षा है जो देना सभी को लाजमी।
धैर्य से जो चलते रहे हैं हर बात उनकी ही बनी।
संसार में है कौन जो फिसलन में गिरता हो नहीं।
गिर के संभल के जो चला मंजिल उसे मिलती रही।