गीत – इश्क ए सैलाब
गीत – इश्क ए सैलाब
उफनते हुस्न ए सैलाब मुझे बहा न देना तुम।
शराबी नजरों शबाब ए जाम डूबा न देना तुम।
मै मरीज ए इश्क तेरा मर्ज ताजा ही रहेने दो।
जलती आग मोहब्बत की बुझा न देना तुम।
देखा नही हुस्न तुझ सा सर से पाँव लबालब।
बिठा रखा सिर आंखो मुझे गिरा न देना तुम।
लिखा दिल पे नाम तेरा खून की रोशनाई से।
रौंदकर पैरो तले तेरा नाम मिटा न देना तुम।
इधर उधर जिधर नजर मगर कहाँ नही है तू।
चाहा टूटके तुझे तोड़के दिल भुला न देना तुम।
याद क्या करना तुझे भूलने की फुर्सत तो मिले।
गुजरे बगैर तेरे जिंदगी दिन दिखा न देना तुम।
चाँद तारे न मांगो झुका दूँ फलक कदमो तेरे।
मै ही तेरी जिंदगी गैर मांग सजा न लेना तुम।
नजर उठे सहर झुके तो शबब शाम हो जाये।
लहरा जुलफ़े बन घटा वर्षा भिंगा न देना तुम।
हाल दिल न पुछो मांग लो जान हँसके दे दु।
देख दिवानापन भारती अब मजा न लेना तुम।

