घर की प्यारी गुड़िया तुम
घर की प्यारी गुड़िया तुम
सड़कों पर हो चलती तुम
बसों में धक्के खाती तुम
अनचाहे आघातों को
दम घोट कर सहती तुम
छेेेेड़खानियां सहती तुम
बेेेेजुबान सी रहती तुम
लाली, पाउडर मलती तुम
हाथ थामकर चलती तुम
तिरिया चरित्र कहलाती तुम
माँ की गालियां सुनती तुम
बेेेेबस बेसुध दिखती तुम
अबला तुम, चपला तुम
नारी तुम, बेचारी तुम
फिर भी घर की प्यारी गुड़िया तुम
फिर भी घर की प्यारी गुड़िया तुम।
