घमंड किस बात का करुँ
घमंड किस बात का करुँ
घमंड किस बात का करूँ
सबकुछ यही रह जाना है
अपने कर्मों के साथ जाना है
ये धन-दौलत आज है
शायद कल न हो
ये रुप-रंग आज है
शायद कल न हो
इसी बात को याद रखना है
सबकुछ यही रह जाना है
रिश्ते-नाते सब दिखावा है
ये खेल मोह-माया का है
कल कोई और था
कल कोई और होगा
इस हकीकत को न भुलाना है
सबकुछ यही रह जाना है
घमंड किस बात का करूँ
सबकुछ यही रह जाना है।
