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Madhu Gupta

Drama Fantasy

2.4  

Madhu Gupta

Drama Fantasy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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छोड़ दी अब हयात फूलों की

हमसे होगी न बात फूलों की

मेरे आँगन में चाँद उतरा है

आ गई फिर से रात फूलों की


खार देते रहे हमेशा जो

कर रहे हैं वो बात फूलों की

हमको कांटें ही रास आते हैं

कब सुनी हमने बात फूलों की


रंग सारे उतर गये दिल में

आई फिर से जमात फूलों की

हमने दामन में भर लिया इनको

हमसे होगी न मात फूलों की


खार के साथ - साथ चलते हैं

जान ली हमने जात फूलों की

मेरी मय्यत पे फूल बरसेंगे

ले चले हम बारात फूलों की...।




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