ग़ज़ल
ग़ज़ल
इस दफा का नहीं करेंगे हम
कोई वादा नहीं करेंगे हम
अब जो वो चल दिए है ऐसे में
फिर से रास्ता नहीं करेंगे हम
है मुहब्बत भी कोई शय जाना
तुमसे धोखा नहीं करेंगे हम
रोते रोते कभी जो वो आया
उस को देखा नहीं करेंगे हम
इक दूजे की झूठी वफ़ा खातिर
जाने क्या क्या नहीं करेंगे हम
तुम परेशान हो बहुत हमसे
और ज्यादा नहीं करेंगे हम
एक कमरा है उसकी यादों का
जिसमें टहला नहीं करेंगे हम