ग़ज़ल
ग़ज़ल
तेरे दर पर यूं बैठा हूं कि, सिर्फ तेरा ही इंतजार हो
तेरी एक नजर का प्यासा हूं, तेरा इशारा हो और मेरा सर हो
रंग बदलती दुनिया के देखे बहुत नजारे हैं
इंतजार सिर्फ इतना है, तुम ही मेरे रंगरेज हो
उठते हैं यह मेरे दोनों हाथ केवल तेरे ही नाम को
मेरे जिंदगी के चंद लम्हों में भी, तुम ही मेरे साथ हो
तड़पते हुए दिल में और नम आंखों के आंसुओं में
सुकून मिले ना जब तक, तेरी तस्वीर मेरे सामने हो
आपके हुस्न और अंदाज ने, इस कदर किया मुझे बेखबर
आए कितनी भी मुश्किलें तूँफा का भी ना कोई असर हो
ये इश्क की राह ना इतनी मालूम पड़ती आसान है
आपके कदमों तले गर जन्नत हो, तो मंजिल भी आसान हो
यह नम आंखें, हारा हुआ दिल और यह खामोश लब हैं
दीदार अगर तेरा हो जाए, तो ऐसे कई "नीरज" तुम पर कुर्बान हों।