ग़ज़ल – पैसा
ग़ज़ल – पैसा
पैसा कड़ी मेहनत बड़ी मुद्दत लगे पैसा कमाने में।
नहीं लगता ज़रा सा वक़्त पैसे को गँवाने में।
बड़ा आसान है कहना कि पैसा ही नहीं सब कुछ,
बिना पैसे नहीं मिलता यहाँ कुछ भी ज़माने में।
मिटाता भूख ये पैसा ढके तन को यही पैसा,
ज़रूरत है इसी पैसे की सर पर छत बनाने में।
पढाई में दवाई में भलाई में बुराई में,
ज़रूरी है बहुत पैसा यहाँ जीवन चलाने में।
खिलौना बन हँसाता है तो ज़ेवर बन लुभाता है,
बड़ी महिमा है पैसे की दिल से दिल मिलाने में।
है पैसे की ज़रूरत क्यों ज़रा पूछो किसानों से,
बिताई ज़िन्दगी पूरी ज़मीं गिरवी छुड़ाने में।
अमीरी के सभी साथी गरीबी बस अकेली है,
भरी जेबें ज़रूरी है सभी रिश्ते निभाने में।
खुदा से मैं दुआ करता सभी इंसां बनें क़ाबिल,
बड़ी शर्मिंदगी होती भिखारी बन के खाने में।
तुम्हारे पास पैसा है गरीबों की मदद करना,
दुआ दिल से निकल करती बड़ी बरकत ख़ज़ाने में।
