घायल मन
घायल मन
दिल का बोझ कम
करने वाला एक ही दोस्त था
आपका हमेशा मेरे साथ होना,
किसी अपनों से कम न था..? ...
इतने दिन से तुम क्यूँ नहीं मिले,
छुप गये थे ख़्वाब और खयालों में
कॉलेज के तो जमाने में दिखे नहीं,
अरे हम खोज रहे थे गली गली में .......
हम टूट गये हैं मन से ,
फिर दिल ने बोला दिल से
रोते नहीं रे बाबा चुप हो जा,
हुआ तो हुआ चुप हो जा
प्यार से....
अक्सर मेरे ही साथ ऐसा क्यूँ होता,
ऐसा क्या गुनाह कर गये थे
इत्तेफ़ाक से मिलना बिछड़ना,
अकेला मरने को छोड़ गये थे .?
हम खुश थे अपने बचपन में,
कोरोना जैसे आये जीवन में,
ये वायरस लग गया जवानी में,
काश! तू पहले मिला होता सफर में .?
हम रास्ते में हाथ थाम लेते थे,
बोल देते थे वही आय लव्ह यू
पूछते थे, मुझ से शादी करोगे,
इसलिये कहते हैं मिस यू , मिस यू .. ....