गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध
लुंबिनी के बाग में कमल पुष्प की झोली में जन्मे सिद्धार्थ,
धैर्य और संयम का बने वे आधार,।।
बालपन से युवा अवस्था में सिद्धार्थ ने कदम रखा,
मृत्यु और जन्म के बीच के कई सवालों का मन में बसेरा बना,
उनका अंतर मन जग में बिखरे दुख और दर्द में खो गया,
धीरे – धीरे मन राज पाठ से दूर हो गया,।।
लुंबिनी के बाग में कमल पुष्प की झोली में जन्मे सिद्धार्थ,
धैर्य और संयम का बने वे आधार,।।
आधी रात में सबको त्याग दिया,
राज पाठ हर बेड़ी को तोड़ दिया,
शरीर पर साधु का चोला पहन लिया,
सवालों से जवाब तक की यात्रा का तब आरंभ हुआ,।।
लुंबिनी के बाग में कमल पुष्प की झोली में जन्मे सिद्धार्थ,
धैर्य और संयम का बने वे आधार,।।
सब मोह छोड़ कर खुद को गहरी तपस्या में लीन कर लिया,
बोधी वृक्ष की छाव में बुद्ध को तब ज्ञान मिला,
क्यों ,कहा ,कैसे ,कब और किसलिए, आदि सवालों के जवाब भी मिले,
इस बहुरूपी संसार के हर रूप के अर्थ भी मिले,।।
लुंबिनी के बाग में कमल पुष्प की झोली में जन्मे सिद्धार्थ,
धैर्य और संयम का बने वे आधार,।।
आधार से परिपूर्ण है सारनाथ के उपदेश,
आज भी जीवित है बुद्ध के संदेश,
जीवन को देखने का एक नजरिया है बुद्ध,
सांसारिक लोभ और लालच से मुक्ति का अर्थ है बुद्ध,।।