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Mahaveer Dhaliya

Tragedy

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Mahaveer Dhaliya

Tragedy

गाय की व्यथा (राजस्थानी कविता)

गाय की व्यथा (राजस्थानी कविता)

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खाबाँँ न चारों कोने,

रहबाँ न उसारों कोने,

धरती बँटगी मिनखां म्ह,

बबता पड़गी गायाँ म्ह।

घर-घर जाकर दाणों माँगह,

भगत लुगायां ताणों मारह,

जा धणीं रा खेंता म्ह,

बबता पड़गी गायाँ म्ह।


भूखा रहबाँ सू दूध घटग्यो,

घर म्ह रखबाँ न धणीं नटग्यो,

सगली सड़क्याँ भरगी गायाँ सूँ,

रोज दुर्घटना घटतीं गों मायाँ सूँ।

गौशाला म्ह भी ठौर घटगी,

लोग-लुगायां री आत्मा मरगी,

यान्ह काटों सराँ बजाराँ ,

ये मवेशी है,बेकार आवाराँ ।



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