पानी(कुण्डलिया छन्द)
पानी(कुण्डलिया छन्द)
पानी बचाओ तुम सब,जल पहुँचे सब दूर
जल का संकट मिटेगा, नीर मिले भरपूर ।
नीर मिले भरपूर, मनुज का तन-मन डोले
मन में रखकर प्रेम, मधुर-मधुर वाणि बोले
कह 'मयंक' कविराय, मत बहाओ तुम पानी
पानी सबका प्राण, बचाके राखो पानी ।।
