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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

गाँधीराम

गाँधीराम

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दुविधा में फंसा है देशभक्त मन

आदर्श गाँधी को ही मानूँ

या राम को ही अपना लूँ


एक ने प्रेम सहिष्णुता अहिंसा का पाठ पढ़ाया

दूसरे ने हमेशा मर्यादा में रहने का पाठ पढ़ाया


थप्पड़ खाकर फिर दूसरा गाल बढ़ाऊँ

रावण हेतु फिर दूसरी सीता ढूंढ लाऊँ


अहिंसक बना रहूँ की धर्मार्थ हिंसक बन जाऊँ

अहिंसा परमोधर्म, धर्मार्थ हिंसा तदैवच

धर्मों रक्षति रक्षितः का अमोघ मंत्र अपनाऊँ


गाँधीवादी होने की सही पहचान बनाऊँ

कि मर्यादा पुरुषोत्तम को आराध्य बनाऊँ


कैसे समझाऊँ स्वयं को

कैसे गलत ठहराऊँ सिख गुरुओं को

कैसे गलत ठहराऊँ चक्रधर कृष्ण को

कैसे गलत ठहराऊँ धनुर्धारी राम को


सामना किया जिसने

अत्याचार का

अनाचार का

दुराचार का

व्यभिचार का


शस्त्र प्रतिकार किया दुष्टता का

संहार किया समयक दुष्टात्मा का


गाँधीवादी बन नहीं देख सकता चीरहरण

क्योंकि द्रौपदी कानून कौरवों की हो गयी

वचनबद्ध पितामह सा क्यों महाभारत होने दूँ

राम बन क्यों ना दुष्ट बाली का संहार करूँ


दुविधा यही

गाँधीवादी बनूँ या रामवादी बनूँ

क्यों न शस्त्रधारी गाँधीराम बनूँ !!

देशप्रेम की नई पहचान बनूँ !!


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