STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Tragedy

3  

Sudhir Srivastava

Tragedy

गाँधी जी तुम्हें प्रणाम

गाँधी जी तुम्हें प्रणाम

2 mins
1.4K

हे बापू हे राष्ट्र पिता

संत साबरमती के

पुजारी अहिंसा के

तुम्हें नमन है

कोटि कोटि प्रणाम है।

देश में आज जो हो रहा है

जिन्ना भक्तों की बाढ़ आ रही है

हिंदू मुसलमान का खेल

खुलेआम हो रहा है।

जाने क्या सोचकर

धर्म निरपेक्षता का

ढिंढोरा पीटते रहे आप,

दोनों का ही ताप आज

सह रहे हैं आप।

गफलत में लोग अब तक

पूजते रहे आपको,

पर आज सरेआम कोस रहे हैं आपको।

राष्टृपिता जी आपने

ये क्या कर दिया था,

हिंदुओं को हिंदुस्तान आने

और मुस्लिमों को पाकिस्तान

जाने क्यों नहीं दिया था?

आज तक हिंदुस्तान पाकिस्तान

दुश्मन बने हुए हैं,

रोज रोज नये नये लफड़े हो रहे हैं।

आप सत्य अहिंसा के पुजारी थे

पर आज सत्य अहिंसा के

बढ़ रहे व्यापारी हैं,

सत्ता के खेल भी आपने खेला

अपने स्वार्थ, मोह में

जो जिसके दावेदार, असली हकदार थे

उन्हें नीचा दिखाया

आपने जिसको सिर पर बिठाया

उन्होंने जो भी किया

आपको अब भी समझ में न आया।

माना की आपके बंदर मौन हैं

अपने ही बंदरों का मौन

आपको समझ में न आया,

सच कहूं तो गाँधी बाबा

आप सिर्फ़ राष्ट्रपिता कहलाते रहे

पर पिता धर्म की आड़ में

दोहरा तिहरा मापदंड अपनाते रहे

अपने नाम के सहारे

हमें भेड़ बकरी की तरह हाँकते रहे।

नाथूराम के कृत्यों का

हम सब विरोध करते हैं,

पर आपका भी समर्थन आज

भला कितने लोग करते हैं?

जिनकी खातिर आप

भावनाओं में बहते रहे,

उनकी आज की पीढ़ियां

आपको कितना मान दे रही हैं

ये बताने की जरुरत कहाँ है?

आज हम आपको नमन करते हैं

बारंबार प्रणाम करते हैं,

अपने मानव मूल्यों की खातिर ही सही

आज भी आपको याद करते हैं

आपको नहीं राष्ट्र पिता को

अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।

हे राम..हे राम..हे राम...

गाँधी तुम्हें प्रणाम

नतमस्तक होकर प्रणाम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy