एक सुबह
एक सुबह
गर्मियों की एक सुबह
उठी अलसाई सी मैं
आँखें मलती जा पहुँची
पापा की गोद में
रविवार का दिन था
मुझे अच्छे से स्मरण है
रंगोली देखने को सबलोग
कर रहे भ्रमण हैं
बारिश हो रही थी
झमाझम उस दिन
बिजली चली गई
सब हो गए खिन्न
पड़ोस में टीवी देखने को
भैय्या ने दौड़ लगाई
उनके पीछे-पीछे
मैं भी सरपट भाग आई
पाँव फिसला मेरा,मैं गिर गई
मम्मी-मम्मी करकर रोने लगी
भैय्या ने डांट मुझको लगाई
बोले मेरे पीछे तू क्यों आई
रोते-रोते बोली मुझको भी
टीवी देखना था
आपको रंगोली तो
मुझे मोगली देखना था।
