STORYMIRROR

Shilpi Goel

Abstract Fantasy Children

4  

Shilpi Goel

Abstract Fantasy Children

एक सुबह

एक सुबह

1 min
163

गर्मियों की एक सुबह 

उठी अलसाई सी मैं 

आँखें मलती जा पहुँची 

पापा की गोद में 


रविवार का दिन था 

मुझे अच्छे से स्मरण है

रंगोली देखने को सबलोग 

कर रहे भ्रमण हैं 


बारिश हो रही थी 

झमाझम उस दिन

बिजली चली गई 

सब हो गए खिन्न 


पड़ोस में टीवी देखने को 

भैय्या ने दौड़ लगाई 

उनके पीछे-पीछे 

मैं भी सरपट भाग आई


पाँव फिसला मेरा,मैं गिर गई 

मम्मी-मम्मी करकर रोने लगी 


भैय्या ने डांट मुझको लगाई 

बोले मेरे पीछे तू क्यों आई


रोते-रोते बोली मुझको भी 

टीवी देखना था

आपको रंगोली तो 

मुझे मोगली देखना था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract