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Archana Kewaliya

Abstract

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Archana Kewaliya

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एक साल ऐसा भी

एक साल ऐसा भी

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ना अचारों की खुशबू, 

ना मुरब्बे की मिठास,

ना अनाज का भंडार,

ना दालों का स्टॉक,

एक साल ऐसा भी


ना आइसक्रीम की ठंडक,

ना बर्फ की चुस्की,

ना गन्ने का रस,

ना मटके की कुल्फी,

एक साल ऐसा भी ।


ना ऑरेंज की कैंडी,

ना केरी की लौंजी,

ना सैर या चौपाटी,

ना गोलगप्पों की गिनती,

एक साल ऐसा भी ।


ना शादियों के कार्ड,

ना लिफाफों पर नाम, 

ना तिये का उठावना,

ना दसवे की बैठक,

एक साल ऐसा भी ।


ना साड़ी की खरीदारी,

ना मेकअप का सामान,

ना जूतों की फरमाइश,

ना गहनों की लिस्ट,

एक साल ऐसा भी ।


ना ट्रेन की टिकट,

ना बस का किराया,

ना फ्लाइट की बुकिंग,

ना टेक्सी का भाड़ा,

एक साल ऐसा भी ।


ना नानी का घर,

ना मामा की मस्ती,

ना मामी का प्यार,

ना नाना का दुलार,

एक साल ऐसा भी ।


ना पिता का आंगन,

ना माँ का स्वाद,

ना भाभी की मनुहार,

ना भाई का उल्लास

एक साल ऐसा भी ।


ना मंदिर की घंटी,

ना पूजा की थाली,

ना भक्तों की कतार,

ना भगवान का प्रसाद,

एक साल ऐसा भी ।


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