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Shweta Mangal

Romance

5.0  

Shweta Mangal

Romance

एक मुस्कान

एक मुस्कान

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आज खफा थे 

वो मुझसे इस कदर 

जिया ही न जा रहा। 


पर क्यों थे  

वो खफा 

यह जान कर भी

 न जान पायी मैं। 


करे मैंने कितने जतन 

आ जाये एक मुस्कान 

उनके लबों पर। 


पर वो अपनी मुस्कान

इस तरह छिपाये बैठे 

जैसे बादलों में 

छिपा सूरज। 


जैसे पत्तियों में छिपे 

कोमल, नये पल्लव 

मैंने किया कितना इंतजार

। 


हटे यह सावन की घटा

और दीदार हो 

उनकी एक मुस्कान का 

और मैं फिर झूम जाऊँ

 इस मस्त बहार में। 


उनकी एक मुस्कान ही 

भर सकती है 

रंग मेरी जिंदगानी में 

बस इंतजार कर रही हूँ 

उस पल का,

 

जब हटे 

यह बदल सी छाई 

नाराजगी उनकी 

और उसमें से,

 

उगते सूरज के समान 

चमक उठे 

उनकी एक मुस्कान 

सिर्फ एक मुस्कान।  


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