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Abhay Nath Thakur

Drama

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Abhay Nath Thakur

Drama

एक मुसाफिर

एक मुसाफिर

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जीने की तरीके,

सब के अलग होते हैं,

फिर भी एक दूसरे के,

गले लग के रोते हैं ।


हर एक दिन परिंदे,

कभी न कभी सोते हैं,

फिर भी जिंदगी भर वो,

मुसाफिर होते हैं ।


बड़े दिनों से मन में,

एक उलझन-सी बैठी है,

बीच रास्ते में ही क्यों,

साथ छूट जाती है ।


फिर मन को समझाता हूँ,

ये कह कर,

की अकेला भी तो,

आदमी मुसाफिर होता है ।


अकेला भी तो आदमी,

एक मुसाफिर होता है ।।


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