एक महल हमारे लिए
एक महल हमारे लिए
देखा हूँ एक सपना मैंने न तुम्हारे लिए न मेरे लिए ! बल्कि हमारे लिए वह सपनों का सपना।
बना रहा हूँ बसेरा मैं हमारे लिए! तिनका - तिनका चुनकर लाया रहा हूँ पूरी दुनिया से घूम - घूमकर !
अपना महल भी खड़ा करना है ! सपने अपनों के साथ अपना भी बड़ा करना है ।
मगर हमारे महल 'हकों' को मारकर बनाई गई महल! धन - दौलतों, हीरा-जवाहरात से जकड़ी हुई महल नहीं !
बल्कि घास - फूस से ही बनी मगर आलीशान खुशियों की महल होगी। जिसमें हम सुकून से रह सकें !
हमें किसी की आह ! बद्दुआ न लगे कभी ! हमें दुनिया भर से दुआएँ बटोरनी है।
मेरी घरनी बनकर तुम इस सूनेपन और अकेलेपन की दुनिया में खुशियों की रंग भरनी है !
हमें चित्र इनकी उकेरनी है ! इनके भावों के अल्फ़ाज बन !
आवाज बन पटल पर लाना ही तो हमारा वास्तविक कर्तव्य है !
हमें ऐसी ही महल खड़ी करनी है जिसे किसी की आवाज को दबाकर नहीं !
किसी की आवाज बनकर बनाई गई हो ! जिसकी नींव नेक- नीयत पर टिकी हो ।
जिसके एक - एक ईंट परहित के काम आएँ। जिसके पिल्लर ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पे टिकी है !
हाँ ! मेरी हमसफ़र! मेरी साथी ! हमें मिलकर ऐसी ही महल बनाना होगा ! अपनी सपनों का महल !
