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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Inspirational

एक महल हमारे लिए

एक महल हमारे लिए

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देखा हूँ एक सपना मैंने न तुम्हारे लिए  न मेरे लिए ! बल्कि हमारे लिए वह सपनों का सपना।

बना रहा हूँ बसेरा मैं हमारे लिए! तिनका - तिनका चुनकर लाया रहा हूँ पूरी दुनिया से घूम - घूमकर ! 

अपना महल भी खड़ा करना है ! सपने अपनों के साथ अपना भी बड़ा करना है ।

मगर हमारे महल 'हकों' को मारकर बनाई गई महल! धन - दौलतों, हीरा-जवाहरात से जकड़ी हुई महल नहीं !

बल्कि घास - फूस से ही बनी मगर आलीशान खुशियों की महल होगी। जिसमें हम सुकून से रह सकें !

हमें किसी की आह ! बद्दुआ न लगे कभी ! हमें दुनिया भर से दुआएँ बटोरनी है।

मेरी घरनी बनकर तुम इस सूनेपन और अकेलेपन की दुनिया में खुशियों की रंग भरनी है ! 

हमें चित्र इनकी उकेरनी है ! इनके भावों के अल्फ़ाज बन !

आवाज बन पटल पर लाना ही तो हमारा वास्तविक कर्तव्य है ! 

हमें ऐसी ही महल खड़ी करनी है जिसे किसी की आवाज को दबाकर नहीं !

किसी की आवाज बनकर बनाई गई हो ! जिसकी नींव नेक- नीयत पर टिकी हो ।

जिसके एक - एक ईंट परहित के काम आएँ। जिसके पिल्लर ईमानदारी और सत्यनिष्ठा पे टिकी है ! 

हाँ ! मेरी हमसफ़र! मेरी साथी ! हमें मिलकर ऐसी ही महल बनाना होगा ! अपनी सपनों का महल !


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