एक लड़की का जीवनचक्र
एक लड़की का जीवनचक्र
एक लड़की जब छोटी सी होती है
कितनी स्वच्छंद , कितनी नादान होती है
खुशियों के पर फैलाये उड़ती रहती है
आसमान में परिंदों की तरह होती है
उन्हीं परों को काट दिया जाता हैं
जब बेटियां हो जाती है बड़ी
हर तरफ से बांध दिया जाता है उन्हें
कभी कसमों से तो कभी रस्मों से
खुद का व्यक्तित्व उनका किराए के
उस मकान जैसा हो जाता है जिस पर
तख्ती अपने नाम की कोई भी टांग देता है
हिसाब से अपने उसको सजा जाता है
बालों में सफेदी, कम
र में धनुष सा झुकाव
चेहरे पर बढ़ती उम्र की थकान और डर
हर वक्त बस एक ही चिंता और फिकर
कैसे कटेगा जीवन का यह अंतिम पड़ाव।।
एक लड़की का जीवन चक्र चलता है यूं ही
कही आज़ादी मिलती है तो कही बेड़ियां
कभी सम्मान मिलता है तो कभी अपमान
कभी देवी रूप में पूजा जाता है तो कभी
सांसे आने से पहले ही सांसे रोक दी जाती है
उसको खुद ही आगे आना होगा अपने
हक के लिए वकील खुद को बनाना होगा
थोपे नहीं कोई फैसला जबरदस्ती बस
इसी कोशिश के साथ कदम आगे बढ़ाने होंगे।