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Aakash Shah

Abstract

4.8  

Aakash Shah

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एक हमसफ़र ऐसा भी

एक हमसफ़र ऐसा भी

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कोई तो ऐसा हमसफर बन जाये हमारा,

जिसके बिन ना हो पाये एक पल गुजारा।

सुख मैं जिसे ढुंढु और दुख मैं साथ पाऊ,

जिसके लिये जिंदगी को और खुबसूरत बनाऊं।


जो अंधेरो में मुझे रौशनी दिखाये,

और रौशनी की चकाचौंध से मुझे बचाये।

जो मेरे हर कदम का कारण हो,

जिसका हर रंग बस साघारण हो।


हर मुसिकल आसान करदे जिसका साथ,

भीड भरी दुनिया में थामें रखे जो मेरा हाथ।

चांद सितारों को तोडने के झुठे वादे ना करे,

बस छोटी – छोटी बातों से जिंदगी में खुशियां भरे।


एक दूसरे की खूबियों को तराशे और सराहें,

बुराईयों से दूर रखें एक दुसरे की राहें।

एक दुसरे की कही अनकही बातें समझ जायें,

कभी ना सुलझे ऐसे बंधन में ऊलझ जायें।


बस प्यार, विश्वास

और सुकून भरी जिंदगी हो,

मैं उसकी और वो मेरी बंदगी हो।

जिस छोटी सी दुनिया में उसका मेरा बसेरा हो,

हर रात सुहानी और खुबसूरत हर सवेरा हो।


प्यार की उस डोर से बंध जायें,

जो एक धागे में दो मोती पिरोता है,

एक को चोट पहुंचे तो दुजे का दिल रोता है।

पयार सच में एक खुबसूरत एहसास है,

दूर रहकर भी रहते एक दुजे के पास है।


चाहत है मेरी जिंदगी बिते ऐसे ही हमसफर के संग,

जिसके होने भर से बिखरें खुशियों के रंग।

सांस जिस दिन थमेगी तो चेहरे पर सुकून रहेगा,

ऐसा हमसफर अगर जिंदगी में मिलेगा।


रब को तो सबकी चाहत का पता होता है,

तू तो सबके दिल में बसा होता है।

मेरी भी इस चाहत को सच तू बना देना,

मन में बनी मूरत को असली सूरत बना देना।


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