STORYMIRROR

डॉ. रंजना वर्मा

Inspirational

3  

डॉ. रंजना वर्मा

Inspirational

एक एक ग्यारह हो

एक एक ग्यारह हो

1 min
162


मन बहुत अकेला हो

जिन्दगी झमेला हो

खूब समस्याएं हों 

दर्द की ऋचाएँ हों


सुरमई अंधेरा हो

चम्पई उजाला हो

आँखों का हर आँसू

धैर्य ने संभाला हो


चैन बहुत दूर रहे

मन श्रम से चूर रहे

जीवन की राहों पर

काँटे भरपूर रहें


तरस रहा प्यासा मन

एक बूँद पानी को

और पाँव चाह रहे

वेग को रवानी को


ऐसे में आ कोई

पोर पोर सहला दे

टूटे मन मानस को

साथ मधुर पहला दे


मिल जाये पंखों को

फिर नयी उड़ान कोई

फैले फिर आँखों में

स्वच्छ आसमान कोई


तब समझो मानव के

मन की पौ बारह हो

एक एक ग्यारह हो

एक एक ग्यारह हो ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational