एक दिन..
एक दिन..
एक दिन ये होना ही था
ज़रा सी क्या ख़ता हुई हमसे
आपको हमसे रूठना ही था..
दिल से नहीं संभाला गया
लेकिन जुबाँ को हमने रोक लिया
आपको नहीं चाहिए था
इसलिए हमने उस प्यार को भी ठुकरा लिया..
मान लिया ख़ता हुई है हमसे
जानबूझकर नहीं की थी ये दिल्लगी आपसे
कभी लगे आपको तो लौटकर आना ज़रूर
कुछ बोले बिना हँसकर माफ़ कर देंगे आपका कसूर..

