खामोशी
खामोशी
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कुछ बोले बिना सारी बातें वो कह गयी
खामोशी से पूरी दास्ताँ वो सूनाती रही
लेकिन आज भी मेरा दिल
तेरी इश्क़ की गलियों में शोर मचाता है
ओर तू बेवफाई की इस दुनिया में
सिर उठाकर जिने का सोच रही है
चलो अब जाने भी दो
खामोशी किसी भी मुद्दे का हल नहीं है
क्यूँ की गुफ्तगू दिल के हर राज खोल देती है..
