एक चमत्कार
एक चमत्कार
एक चमत्कार ,
कभी लगती थी हमें फटकार ,
वही था हमारा वरदान।
वो था हमारा गीता ,
और कोई नहीं, वो है हमारा पिता।
उसने हमें डांटा ,
कभी चुभता था जैसे कोई कांटा ।
उसने मुस्कुराहट नहीं दी ,
क्योंकि उसे नहीं बनानी था हमारी जिंदगी फीकी।
व्यस्त रहता था काम में ,
हम चाहते थे की वो प्यार दें।
गलती से उठा देता था वो लाफा ,
और कोई नहीं वो हैं हमारे प्यारे से पापा ।
आज तुम्हारी जिंदगी खुशियों से भरी है,
क्योंकि वो तुम्हारे पापा की छड़ी है ।
दिल की बात मूँह पर लाओ ,
पापा को देख कर मुस्कुराओ।