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Hancy Dhyani

Abstract

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Hancy Dhyani

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जिंदगी

जिंदगी

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जेठ की दोपहर-सी है जिन्दगी।

तेज लू के कहर-सी है जिंदगी।।

है नहीं छाया कोई दूर तलक भी।

प्यास तेज और सूखी नहर-सी है जिन्दगी।।


भीड़ में रहकर भी तन्हा आदमी।

क्या बताए शहर-सी है जिन्दगी।।

किस तरह हम को किनारा मिल सकेगा।

नाव जर्जर और सुनामी लहर-सी है जिन्दगी।।


देखने में तो सदा शर्बत-सी लगती है।

जब छुआ होठों से,मारक जहर-सी है जिन्दगी।।


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