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Jishnu Trivedi

Abstract

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Jishnu Trivedi

Abstract

उजड गये परिवार हजारो,

उजड गये परिवार हजारो,

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उजड गये परिवार हजारो,

धुुुए की आड मे।

उजड़ गये परिवार हजारो,

इस लत मे उजडे कही मांगे।

कही हुुई विधवा।


उजड़ गये परिवार हजारो,

अनाथ हुए बालक हजारो।

उजड गये परिवार हजारो,

समय हे अभी भी,

सुधर जाओ।


गुजर गये लोग हजारों,

ना मिला उनको किसीका,

कांधा न मिला उनको,

न मिला सम्मान।


न मिला कोई दान,

छोड़ दो इसको,

यही मेरे कुछ अनमोल वचन।


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