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Jishnu Trivedi

Abstract

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Jishnu Trivedi

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जज्बात हमारे

जज्बात हमारे

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जज्बात हमारे , उबल रहे,

मन में सोच के बादल गरज रहे।

खुुुुशी धुन्ध में छुप रही है,

दर्द हमारा बरस रहा है।


जज्बात हमारे , उबल रहे 

मन आशंका से भरा हुआ।

ह्रदय प्रेेम से लदा हुआ ,

क्रोध हमारा झुलस रहा।


जज्बात हमारे , उबल रहे ,

इस मायाजाल मे हम फंस रहे हे।

अश्रु हमारे बह रहे हैं,

खुशियों के बांध टूट रहे हैं।


जज्बात हमारे , उबल रहे ,

जीवन के पतीले छोटे पड़ रहे हैं।

दुुख की मक्खी घूम रही है।

फिर भी खुुुशहाल जिंदगी हमारी हो रही है।

 



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