जज्बात हमारे
जज्बात हमारे
जज्बात हमारे , उबल रहे,
मन में सोच के बादल गरज रहे।
खुुुुशी धुन्ध में छुप रही है,
दर्द हमारा बरस रहा है।
जज्बात हमारे , उबल रहे
मन आशंका से भरा हुआ।
ह्रदय प्रेेम से लदा हुआ ,
क्रोध हमारा झुलस रहा।
जज्बात हमारे , उबल रहे ,
इस मायाजाल मे हम फंस रहे हे।
अश्रु हमारे बह रहे हैं,
खुशियों के बांध टूट रहे हैं।
जज्बात हमारे , उबल रहे ,
जीवन के पतीले छोटे पड़ रहे हैं।
दुुख की मक्खी घूम रही है।
फिर भी खुुुशहाल जिंदगी हमारी हो रही है।
