खामोशियाँ
खामोशियाँ
बिखरती उम्मीदें, सिमटते वादे, थम गई लाखों जिंदगानियां,
पथरा गई मानवता, मौन संग पसरी है ये खामोशियाँ
ऊँघती साँसे, थिरकती मजबूरियाँ, अस्पतालों में रेंगती है परछाइयाँ,
सांस लेने को सब है बेवस, कुछ कहती है इनकी खामोशियाँ
पक्की सरकार, कच्ची व्यवस्था, इनके ठोस कदमों में उभर आती है बिवाइयाँ,
अव्यक्त दर्द से जारी है सफर, महसूस करो वोटरों की भी खामोशियाँ
गगनचुंबी अट्टालिकायें, वातानुकूलित कक्ष, विलासिता से परिपूर्ण जिनकी कहानियां
झुठलाते सच को ये तथाकथित जनसेवक, अब तो समझो इनकी खामोशियाँ
दिखावा है ये आँसू, वोट बैंक के कारोबार की है सब असल निशानियां,
अब तो चुप्पी तोड़ो मेरे देशवासियों, बरना रह जायेगी बस ये खामोशियाँ।