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Goldi Mishra

Inspirational

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Goldi Mishra

Inspirational

एक चीख (पुकार दिल की)

एक चीख (पुकार दिल की)

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कमरे में बिखरी कालिख ने उसे जकड़ा हुआ था,

नशे की लत ने उसे खुल कर जीने से रोका हुआ था।

उसका गला सूख रहा था,

उन चार दिवारी में उसका दम घुट रहा था,

नशे की लत ने उसे कमज़ोर कर दिया था,

उसकी जिंदगी को अंधेरे में डूबा दिया था।


कमरे में बिखरी कालिख ने उसे जकड़ा हुआ था,

नशे की लत ने उसे खुल कर जीने से रोका हुआ था।

अपनो से काफ़ी दूर वो हो गया,

जिंदगी के इस सफ़र में वो कहीं खो गया,

नशीले पदार्थों ने उसे अंदर से खोखला कर दिया,

आज इस भीड़ में उसने खुद को तन्हा मुसाफिर बना लिया।


कमरे में बिखरी कालिख ने उसे जकड़ा हुआ था,

नशे की लत ने उसे खुल कर जीने से रोका हुआ था।

नशे ने उसकी सेहत और उसकी मानसिकता पर प्रहार किया था,

उसका दिल इन सब से दूर जाना चाहता था,

शराब सिगरेट की कैद से वो आजाद होना चाहता था,

नशे से कोसो दूर एक नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहता था।


कमरे में बिखरी कालिख ने उसे जकड़ा हुआ था,

नशे की लत ने उसे खुल कर जीने से रोका हुआ था।

सिगरेट के धुएं में जिंदगी कही राख ना हो जाए,

कही बहुत देर ना हो जाए,

नशे से मुक्त एक जीवन की रचना करते है,

काली अंधेरी बेड़ियों से खुद को आओ आज़ाद कर देते है।


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