एक बेहतर कल
एक बेहतर कल
किसान चल पड़ा हल बल के साथ
बेईमान चल पड़ा हर छल के साथ
आश की कटोरा लिए भिखारी चल पड़ा
ताश और जमूरा लिए मदारी चल पड़ा
एक भविष्य उज्जवल लिए
एक बेहतर कल के लिए
कर्मचारी कर्म कर रहे हैं
आस्तिक धर्म पर रहे हैं
वास्तविकता को गढ़ रहे कलाकार
सफ़लता के चढ़ रहे दस द्वार
सपना दिख रहा दल बल लिए
एक भविष्य उज्जवल लिए
एक बेहतर कल के लिए
हज़ार भीड़ में भी जुमले अलग हैं
एक बाग में ही हर गमले अलग हैं
सुन्दरता के साथ यहां बदसूरती का झलक है
खुशियों के साथ सिसकियाँ और कलप है
जीवन यहां सुधा संग गरल लिए
एक भविष्य उज्जवल लिए
एक बेहतर कल लिए।