एक बचपन था कल बुढ़ापा आज जवानी
एक बचपन था कल बुढ़ापा आज जवानी
बस चंद तस्वीरों की मेरी कहानी,
इक बचपन था, कल बुढ़ापा, आज जवानी,
हाँ, याद है मुझे मैंने भी की थी मनमानी,
वो बचपन ही था जो छिप जाता था,
चाहे कितनी भी हो शैतानी,
ना कोई सीमा ही होती,
ना कम होती हरकतें बचकानी,
अब छूट गयी मनमानी,
और छूट गयी शैतानी,
वो राजा रानी की कहानी,
बस यादों में जानी पहचानी,
बस चंद तस्वीरों की मेरी कहानी,
इक बचपन था, कल बुढ़ापा, आज जवानी।